बुधवार, 26 मई 2010
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राजस्थानी भासा रै मांय पंचलड़ी....उर्दू हिंदी री ग़ज़ल रै सांकडै ई ठेरै आ पंचलड़ी...पांच लड्याँ मांय पोएड़ी पंचलड़ी ...हरेक लड़ी रै मांय दोनूं मिसरा बरोबर मात्रावां राखै ..राजस्थानी रा घणा चावा अर ठावा कवि आदरजोग ओम पुरोहित 'कागद' इण विधा नै पेलपोत केवटी ही ...कागद जी ही इण नै नांव दियो..पंचलड़ी..
भोत सोवणों गीत सुनायो...
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